जन्म:11अप्रैल 1827
अंग्रेजीविधाएँ:चिंतन, कविता, नाटक, निबंधप्रमुख कृतियाँ:तृतीय रत्न, पँवाड़ा : छत्रपति शिवाजी भोसले का, पँवाड़ा : शिक्षा विभाग के ब्राह्मण अध्यापक का, ब्राह्मणों की चालाकी, गुलामगीरी, किसान का कोड़ा, ग्रामजोशी के संबंध में, सत्य-शोधक समाज के लिए मंगलगाथा और पूजाविधि, सार्वजनिकसत्यधर्म.
विशेष:महात्मा जोतिबा फुले ऐसे महान विचारक,समाज सेवी तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे जिन्होंने भारतीय सामाजिक संरचना की जड़ता को ध्वस्त करनेका काम किया। महिलाओं,दलितों एवं शूद्रों की अपमानजनक जीवन स्थिति मेंपरिवर्तन लाने के लिए वे आजीवन संघर्षरत रहे। सन1848में उन्होंनेपुणे में अछूतों के लिए पहला स्कूल खोला। यह भारत के ज्ञात इतिहास में अपनी तरह का पहला स्कूल था। इसी तरह सन1857में उन्होंने लड़कियोंके लिए स्कूल खोला जो भारत में लड़कियों का पहला स्कूल हुआ। उस स्कूल में पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक न मिलने पर जोतिबा फुले की पत्नी सावित्रीआगे आईं। अपने इन क्रांतिकारी कार्यों की वजह से फुले और उनके सहयोगियों को तरह-तरह के कष्ट उठाने पड़े। उन्हें बार-बार घर बदलना पड़ा। फुले की हत्या करने की भी कोशिश की गई। पर वे अपनी राह पर डटे रहे। अपने इसी महान उद्देश्य को संस्थागत रूप देने के लिए जोतिबा फुले ने सन1873में महाराष्ट्र मेंसत्य शोधक समाजनामक संस्था का गठन किया।
उनकी एक महत्वपूर्ण स्थापना यह भी थी किमहार, कुनबी,माली आदि शूद्र कही जानेवाली जातियाँ कभी क्षत्रिय थीं,जो जातिवादी षड्यंत्र काशिकार हो कर दलित कहलाईं।

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