इस काल का इतिहास पूर्णतः पुरातात्विक साधनों पर निर्भर है, इस काल का कोई लिखित साधन उपलब्ध नहीं है। पुरातत्वविदों ने इस काल को तीन भागों में विभाजित किया है:
- पूरा पाषाण काल
इस काल में मानव खाद्यान्न संग्रह के द्वारा अथवा पशुओं का शिकार करके जीवन यापन करता था। उनके निवास के प्रमाण ‘शैलाश्रयों’ के रूप में मिले हैं। इनके औजार और हथियार न परिष्कृत है न तीक्ष्ण हैं। इन्होंने कुल्हाड़ी काटने का औजार पत्तर, तक्षणी, खुरचनी, छेदनी, बनाना सीख लिया था। इस काल के अंत में चकमक का आविष्कार भी हो गया था।