भारत की प्रस्तर युगीन संस्कृतियाँ

इस काल का इतिहास पूर्णतः पुरातात्विक साधनों पर निर्भर है, इस काल का कोई लिखित साधन उपलब्ध नहीं है। पुरातत्वविदों ने इस काल को तीन भागों में विभाजित किया है:
  • पूरा पाषाण काल
इस काल में मानव खाद्यान्न संग्रह के द्वारा अथवा पशुओं का शिकार करके जीवन यापन करता था। उनके निवास के प्रमाण ‘शैलाश्रयों’ के रूप में मिले हैं। इनके औजार और हथियार न परिष्कृत है न तीक्ष्ण हैं। इन्होंने कुल्हाड़ी काटने का औजार पत्तर, तक्षणी, खुरचनी, छेदनी, बनाना सीख लिया था। इस काल के अंत में चकमक का आविष्कार भी हो गया था।

इतिहास के कुछ प्रश्न

१)     निम्नलिखित में से किस प्रस्तर-कालीन स्थल से गर्त निवास का साक्ष्य प्राप्त हुआ है?
अ.     टेक्कलकोटाब. बुर्जहोम
क.     संगनकल्लुड. उटनूर
२)     किस हड़प्पा स्थल से सूती कपड़े का एक खंड प्राप्त हुआ?
अ.     बणावलीब. हड़प्पा
क.     लोथलड. मोहनजोदड़ो
३)  नीचे उत्तर वैदिक साहित्य से ज्ञात राजाओं एवं राज्यों के नाम दिए गए हैं| कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
अ.     अजातशत्रु                काशी
ब. अश्वपति                                बाल्हीक
क. जनक                                    विदेह
ड. जनमेजय                               कुरु-पांचाल
४) निम्नलिखित में से किसने भारत के भागों से कर संग्रह किया?
            अ. साइरसब. कैम्बिसेस I
            क. डैरियसड. कैम्बिसेस II
५) भारतीय राजाओं में से किसने देवनामप्रियम की उपाधि ग्रहण की?
            अ. चन्द्रगुप्त मौर्यब. अशोक
            क. दशरथड. खारवेल
६) निम्नलिखित में से कौन एत्तुतोगै संग्रह का अंग है?
            अ. पुरुनानूरु      ब. मणिमेकलै
            क. शिलप्पदिकारमड. तोलाकाप्पियम
७) निम्नांकित संस्कारों में किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है?
            अ. चूड़ाकर्म       ब. उपनयन
            क. समावर्तन     ड. सीमान्तोनयन 
८) नहपाण के अंतर्गत सुवर्ण एवं कर्षापण की विनिमय दर क्या थी?
            अ. १:५ब. १:१५
            क. १:२५          ड. १:३५
९) विदिशा के राजा भागभद्र के पास हिन्द यवन राजा ने एक दूत भेजा था?
            अ. अगाथोक्लीजब. एंटियाल्किडस
            क. डेमोट्रियस    ड. मेनांडर
१०) किसके अभिलेखों से जल कर का साक्ष्य प्राप्त होता है?
            अ. गुप्त  ब. वाकाटक
            क. प्रतिहार       ड. गहडवाल